कुछ इस तरह से हम ये दुनिया समझे,
समझा खुदी को, और पूरा जहाँ समझे !
समझाने वाले समझ गए इशारों में,
जो न समझे, हज़ारों में भी ना समझे !
ना दोस्ती किसी से, ना की दुश्मनी ही,
सब अपनी तरफ से ना, कभी हाँ समझे !
एक पल में लगा यूँ, समझ लिया सबकुछ,
औए अगले पल लगा, अभी कहाँ समझे ?!
'मजाल' अपनी ख़ुशी अपने हाथों में,
खुदी से पा कर दाद जाँहपना समझे !
समझाने वाले समझ गए इशारों में,
ReplyDeleteजो न समझे, हज़ारों में भी ना समझे !
अछा है
अच्छा *
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता, कृपया मेरे नए ब्लॉग पर भी नज़र डाले ....
ReplyDeleteआप सभी लोगों का प्रतिक्रियाओं के लिए आभार ....
ReplyDeleteहिंदी आर्टिकल साहब, आपकी प्रोफाइल काम करती नहीं दिखती,ब्लॉग की लिंक दे. तब तो हम वहाँ पहुँचे ...
हम तो समझे..
ReplyDeleteसमझ समझ कर समझ को समझो समझ समझना भी एक समझ है समझ समझ कर जो ना समझे मेरी समझ से वो ना समझ है | क्या समझे :-)
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्दों से सजी यह रचना ।
ReplyDeleteसमझाने वाले समझ गए इशारों में,
ReplyDeleteजो न समझे, हज़ारों में भी ना समझे !
ना दोस्ती किसी से, ना की दुश्मनी ही,
सब अपनी तरफ से ना, कभी हाँ समझे !
क्या मजाल हमारी कि आपकी बात न समझें। बहुत अच्छी लगी आपकी शायरी। बधाई।
bahut achhi shaayeri.
ReplyDeleteसमझाने वाले समझ गए इशारों में,
ReplyDeleteजो न समझे, हज़ारों में भी ना समझे !
एकदम स्पष्ट बात ...समझदार के लिए इशारा ही काफी है ..बात याद आ गयी
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
बोध पर इतनी बेहतर , इतनी गहरी बातें ! आप कभी बोधि वृक्ष के नीचे बैठे थे क्या ?
ReplyDeleteसीरियसली पूछ रहा हूं ! पिछले कुछ एपिसोड से आप जबरदस्त फ़ार्म में हैं बस इसलिए !
aapne yad dila hi diya ki samajh samajh kar samajh ko samjho samajh samjhna bhi ek samajh hai samajh samajh kar bhi na jo samjhe meri samajh me vo na samajh hai.
ReplyDeleteblog ka nam dekh man me vyang ki khurafat ne janm liya tha kintu prastuti itni sarahniye thi ki sab khurafat hawa ho gayee.
बहुत सुंदरता से समझ को समझती हुई रचना!
ReplyDeletebadiya prastuti
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