Sunday, December 19, 2010

फलसफाई, शायरी और चुटकियाँ ( Shayari - Majaal )

ये रिश्ता चलता रहेगा  बढ़िया जाने,
अपनी कहें, हमारा नज़रिया जाने !

गर राज़ रखना है तो खुद में दफ़्न कर,
कहा एक को तो फिर सारी दुनिया जाने !

उनकी  शराफत के किस्से किनसे सुनेंगे ?
रमिया जाने उनको या फिर छमिया जाने !

अहसान लेने की नियत नहीं 'मजाल', 
इन मामलों में हमें कुछ बनिया जाने !

10 comments:

  1. बहुत खूब ...बढ़िया अंदाज़ .

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  2. रमिया छमिया का किस्सा क्या है :)

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  3. अपनी कहें, हमारा नज़रिया जाने !

    अपनी कह दी अब मेरी नजरिया सुन

    क्या लिखा है बहुत खूब बहुत खूब

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  4. गर राज़ रखना है तो खुद में दफ़्न कर,
    कहा एक को तो फिर सारी दुनिया जाने !
    bahut sahi kaha majaal sir raaj tabhi tak raaj hai jab tak ek hriday mein ho. wyangya mein bhi bahut gahri baaten chupi hoti hai

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  5. अहसान लेने की नियत नहीं 'मजाल',
    इन मामलों में हमें कुछ बनिया जाने !
    kya wyangya hai sir padhte hi hansi aa gayi

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  6. गर राज़ रखना है तो खुद में दफ़्न कर,
    कहा एक को तो फिर सारी दुनिया जाने ।!

    बहुत खूब...सचमुच फ़लसफ़ाना शे‘र है।

    आख़री के दो शे‘र पढ़कर होठों पर बरबस मुस्कुराहट आ गई।

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  7. वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर!

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  8. उनकी शराफत के किस्से किनसे सुनेंगे ?
    रमिया जाने उनको या फिर छमिया जाने !


    इस शेर का ताल्लुक किससे है ? :)

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  9. bahut hi khoob,,
    mere blog par bhi kabhi aaiye waqt nikal kar..
    Lyrics Mantra

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  10. गर राज़ रखना है तो खुद में दफ़्न कर,
    कहा एक को तो फिर सारी दुनिया जाने ...

    सच कहा है ... लाजवाब शेर है ... राज़ जाहिर करना नहीं चाहिए ... समझ आ गया मजाल साहब ..

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