वक़्त ही वक़्त कमबख्त ! हास्य कविता,व्यंग्य,शायरी व अन्य दिमागी खुराफतों का संकलन (Majaal)

वक़्त ही वक़्त कमबख्त है भाई, क्या कीजे गर न कीजे कविताई !

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Saturday, November 6, 2010

दर्शन हास्य - " प र व च न ! "

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भगवन ! यह जगत भगदड़ ! सब तरफ भगमभग ! " हम परथम ! हम परथम !" सब बस यह रट ! मन व्यथत ! यह जगत, लगत असत मम ! बस उलझन उलझन ...
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Manish aka Manu Majaal
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