वक़्त ही वक़्त कमबख्त ! हास्य कविता,व्यंग्य,शायरी व अन्य दिमागी खुराफतों का संकलन (Majaal)

वक़्त ही वक़्त कमबख्त है भाई, क्या कीजे गर न कीजे कविताई !

Showing posts with label पिता. Show all posts
Showing posts with label पिता. Show all posts
Sunday, October 24, 2010

पिता - जिक्र उनका, जो रह जातें है अक्सर बे-जिक्र से ..............

›
जिक्र उनका लफ़्ज़ों में, जिनसे है सीखे लफ्ज़ ?! बस खुदा ही समझ लीजिये, इंसान की तरह ... कुछ इस तरह से देतें, ऊपरवाले को सजदे, करतें  है ...
5 comments:
›
Home
View web version

About Me

My photo
Manish aka Manu Majaal
View my complete profile
Powered by Blogger.