वक़्त ही वक़्त कमबख्त ! हास्य कविता,व्यंग्य,शायरी व अन्य दिमागी खुराफतों का संकलन (Majaal)

वक़्त ही वक़्त कमबख्त है भाई, क्या कीजे गर न कीजे कविताई !

Showing posts with label बाल गीत. Show all posts
Showing posts with label बाल गीत. Show all posts
Wednesday, November 17, 2010

बालगीत : ' पतंगबाजी ! '

›
जोत उसके बाँध के, तराजू जैसे नाप के, सर मोड़ काँफ के, हवा बहाव नाप के, एक दे उड़न छी, एक गट्टा सँभाल के. ये उड़ी अपनी पतंग, हवा के साथ...
5 comments:
›
Home
View web version

About Me

My photo
Manish aka Manu Majaal
View my complete profile
Powered by Blogger.