वक़्त ही वक़्त कमबख्त ! हास्य कविता,व्यंग्य,शायरी व अन्य दिमागी खुराफतों का संकलन (Majaal)
वक़्त ही वक़्त कमबख्त है भाई, क्या कीजे गर न कीजे कविताई !
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Wednesday, November 17, 2010
बालगीत : ' पतंगबाजी ! '
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जोत उसके बाँध के, तराजू जैसे नाप के, सर मोड़ काँफ के, हवा बहाव नाप के, एक दे उड़न छी, एक गट्टा सँभाल के. ये उड़ी अपनी पतंग, हवा के साथ...
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