Tuesday, December 7, 2010

शुद्ध हास्य-कविता - बच के कहाँ जाओगी रानी ! ( Hasya Kavita - Majaal )

बच के कहाँ जाओगी रानी !
हमसा कहाँ पाओगी रानी !
इतने दिनों से नज़र है तुझपे,
रोच गच्चा दे जाती है !
आज तो मौका हाथ आया है !
बस तुम हो और,
बस मैं हूँ, बस !
बंद अकेला और कमरा है !
इतने दिनों से सोच रहा हूँ,
अपने अरमां उड़ेल दूँ,
सारे तुझ पर ,
आज तू अच्छी हाथ आई है ! 

करूँगा सारे मंसूबे पूरे !
आज तो चाहे जो हो जाए,
छोड़ूगा नहीं,
ऐ सोच !
तुझे,
कविता बनाए बिना !!!

11 comments:

Unknown said...

badhiya rachna

केवल राम said...

कमाल का व्यंग्य किया है भाई....सारे अरमान उड़ेल देने की बात कह दी आपने ...बहुत बढ़िया

Alokita Gupta said...

nice creation

arvind said...

करूँगा सारे मंसूबे पूरे !
आज तो चाहे जो हो जाए,
छोड़ूगा नहीं,
ऐ सोच !
तुझे,
कविता बनाए बिना !!! ...vah..kyaa finish diya hai.badhiya.

समयचक्र said...

कड़ कडाती ठण्ड में भी गच्चा दे रही है .... वाह क्या कहने जोरदार ... ठण्डठंडाती जोरदार पोस्ट ...

उम्मतें said...

उसको अकेला पाके क्या गत बनाई आपने :)

नीरज गोस्वामी said...

हाय कविता अकेले में तेरा क्या हाल किया रे...

नीरज

Majaal said...

आप सभी का आभार...

निर्मला कपिला said...

सच मे खुराफातों का संकल्न है ये। शुभकामनायें।

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) said...

:-))

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

वाह मजा आ गया. आज लिख डालिए बना डालिए कविता. ऐसी कविता से बंद कमरे का राज आज जाके पता चला है.

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