वक़्त ही वक़्त कमबख्त है भाई, क्या कीजे गर न कीजे कविताई !
बहुत बढ़िया लिखा है...पिछली पोस्ट बहुत अच्छी लगी...आभार।
अद्भुत और सार्थक प्रयोग...आनंद आया पढ़ कर...वाह...नीरज
बिना मात्रा की टिप्पणी:----------------अजब, गजब, जबरदस्त।और जनाब, ये वर्ड वैरिफ़िकेशन हटा दीजिये, मेहरबानी होगी।
बहुत सुन्दर ...अद्भुत
बहुत बढ़िया लिखा है...पिछली पोस्ट बहुत अच्छी लगी...आभार।
ReplyDeleteअद्भुत और सार्थक प्रयोग...आनंद आया पढ़ कर...वाह...
ReplyDeleteनीरज
बिना मात्रा की टिप्पणी:
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अजब, गजब, जबरदस्त।
और जनाब, ये वर्ड वैरिफ़िकेशन हटा दीजिये, मेहरबानी होगी।
बहुत सुन्दर ...अद्भुत
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