Monday, September 20, 2010

हास्य कविता - 'मजाल' की खुजाल ! ( Hasya Kavita - Majaal )

एक दिन 'मजाल',
को लगी खुजाल,
कि लिखे कुछ धमाल,
ते मच जाए बवाल !

बहुत सोचा 'मजाल',
की बहुत पड़ताल,
ढूँढा   लेके मशाल,
पर दिखा न ख़याल,
थी सोच की हड़ताल,
हुआ बहुत बेहाल,
पर मिला न  निकाल !
तब सोचा 'मजाल',
है बेवजह  मलाल,
इंसा की क्या मिसाल ?
बस खुदा कर सके  निहाल.
खैर, बहरहाल,
जो हुआ वक़्त हलाल,
खुदी मिटी  खुजाल,
खुद-ब-खुद ख़ुशी बहाल !

तो कहो मियाँ  'मजाल',
है ना जिंदगी कमाल ! 
इतना काफी फिलहाल ....

4 comments:

  1. तो कहो मियाँ 'मजाल',
    है ना जिंदगी कमाल !
    इतना काफी फिलहाल ....

    बहुत मजेदार रही ये हास्य कविता

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  2. हो बेखतर लिख तो सही
    यां ख्याल का सवाल क्या ?
    ये है बिलागरी रख हौसला
    कोई पूछ्ले , मजाल क्या ?

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  3. खुद-ब-खुद ख़ुशी बहाल !...Beautiful line.

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  4. अमां ज़िन्दगी थी फ़टेहाल,
    ये पढ़ा तो हुये मालामाल।

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