Tuesday, October 19, 2010

' शोक न कर, खेद न कर ! ' : हास्य-कविता ( Hasya Kavita - Majaal )

जो हो गया, सो हो गया,
शोक न कर, खेद न कर,
क्या ?क्यों ? कैसे ? सोच कर,
दिमाग की संधि विच्छेद न कर !

टीना नहीं, मीना सहीं,
मीना नहीं, लीना सही,
जो मिल गया, वो मिल गया,
जो ना मिला, वो ना सहीं !
सम्मान कर तू रूप का,
यौवन में कोई भेद न कर !
शोक न कर, खेद न कर ...

जिंदगी में वैसे ही बहुत,
ग़मों का लगा अंबार है,
दुखों से पहले ही बहुत,
भरा  हुआ संसार है,
पहले से फटी जिंदगी,
फटें में तू और छेद न कर !
शोक न कर, खेद न कर ...

ग़म को न दे तवज्जो तू ,
ख़ुशी से न तू फूल जा,
बस ले मज़ा हर  पल का एक,
जीवन है झूला, झूल जा !
यादों को याद कर कर के,
क्या भला तू पाएगा ?
बढेगा बस दुख ही तेरा,
बस सोच कर थक जाएगा.
इसलिए मियां 'मजाल',
विचारों  की परेड न कर !
शोक न कर खेद न कर ...

माना की हर कदम इसके,
मुसीबतें और आफत है,
मगर प्यारे, जहाँ जिन्दा,
अपनी जाँ जब तक सलामत है !
अभी सजी हुई बाज़ी,
अभी तो तू न हारा है,
बीच में यूँ छोड़ना,
'मजाल' न गवाँरा है,
बाकी अभी फिल्म बहुत,
'interval ' में ही 'the end ' न कर  !
शोक न कर, खेद न कर ....

12 comments:

  1. प्रमुदित कर देती रचना।

    जो हो गया, सो हो गया,
    शोक न कर, खेद न कर,
    क्या ?क्यों ? कैसे ? सोच कर,
    दिमाग की संधि विच्छेद न कर !

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  2. कविता ने अच्छा मनोरंजन किया...एक शब्द, कई बार...वाह...

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  3. बहुत सही...नो शोक!!

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  4. मस्त है..पढ़कर खुशी मिली..आभार.

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  5. बस आज जे सब भी खेद होगा इसे खोज लेंगे.
    कोई भी जिन्दगी में छेद होगा इसे घोट लेंगे.

    बढ़िया हें जी.

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  6. आप सभी का पदने और टिपण्णी करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ....

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  7. यौवन के प्रति भेदभाव मुक्त आपका नज़रिया पसंद आया और ये विश्वास हो रहा है कि बाकी सारी सहजताएं अपने आप इसके पीछे दौडी चली आयेंगी !

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  8. बहुत बढ़िया ....

    शोक न करे खेद न करे

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  9. वाह .........बहुत ही सुन्‍दर ।

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  10. जय हो………जय हो।

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  11. badi hi nirved rachna...बधाई हो।

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