क्लिष्ट !
गूढ़ !
उलझी हुई !
मुश्किल !
पेचीदा !
मगर दिलचस्प !
उर्दू शायरी की तरह तुम, प्रिय !
समझ में तो,
कम ही आती हो,
मगर,
पढ़ने में तुम्हें ,
मज़ा बहुत आता है !
कुल मिला कर,
कुछ खास,
पल्ले तो नहीं पड़ता,
मगर,
कोशिशों में,
समझने के,
प्रयासों में तुम्हें,
वक़्त तुम्हारे साथ,
अपना खूब कट जाता है !
उर्दू शायरी की तरह तुम,
प्रिय !
शेरो शायरी को ले कर अपना भी यही हाल है | पर ये खूब रही |
ReplyDeleteहर आशिक के साथ कमोबेश यही गुज़रता है !
ReplyDeleteगज़लों को ले कर अपना भी यही हाल है। शुभकामनायें।
ReplyDeleteha ha ha...khub rahi yah vyangya.
ReplyDeleteआप सभी का प्रतिक्रियाओं के लिए आभार ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !उर्दू हमारी भी ठीक से समझ में नहीं आती ,अक्सर ही चकियाये से - बिलकुल आपकी तरह!
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