Wednesday, November 3, 2010

एक ग़ज़ल : किसी ने तेरा बुरा भला कब किया ? किया खुदी का अपना, तूने जब किया ! Shayri - Majaal)

किसी ने  तेरा बुरा भला  कब किया  ?
किया खुदी का अपना, तूने जब किया !

बस थोड़े से में सीखी पूरी जिंदगी,
पूरा किया पर उसे, जो भी जब किया !

जो टालते गए, वो टालते गए,
उसी ने किया, जिसने अब किया !
 
हसीं, प्यार, रश्क, अश्क एक में,
या खुदा ! ये तूने क्या गज़ब किया !

हमको तो कभी मिला जवाब ना,
ताउम्र जिंदगी से है तलब किया !

'मजाल' हँसने की वजह कोई नहीं,
पर रोने का भी बताएँ, सबब किया ?!

7 comments:

  1. किसी ने तेरा बुरा भला कब किया ?
    किया खुदी का अपना, तूने जब किया

    बिलकुल सही कहा है ..सब अपने की कर्मों का भोग करते हैं



    दीपावली की शुभकामनाएं

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  2. "मजाल' हँसने की वजह कोई नहीं,
    पर रोने का भी बताएँ, सबब किया ?"

    हँसी बड़ी चीज है भाई, हँस तो लें कम से कम, हा हा हा।

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  3. आप सभी का ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया ...

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  4. अपनी पसंद ...

    बस थोड़े से में सीखी पूरी जिंदगी,
    पूरा किया पर उसे, जो भी जब किया !

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  5. लो जी जो मै कहना चाहती थी वो संजय जी ने पहले ही कह दिया है तो उनकी ही टिप्पणी मेरी भी मानी जाये |

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  6. आज की मेरी टिप्पणी सिर्फ आपको व आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनायें देने के लिए है. मेरी तरफ से ये दिवाली आपको मंगलमय हो.

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