Thursday, November 4, 2010

' कविताई ! ' : हास्य-कविता

वो, जिसे कहते है कविताई,
बनाने वाले ने,  ऐसी बनाई,
की सीधे समझ आई तो आई,
और जो न आई, तो  न आई !

जिसको ये न समझ में आई,
न समझा सकती उसे पूरी खुदाई,
चाहे भरकस जोर लो लगाईं, 
हर प्रयास विफल हो जाई,
क्योकि वो कहेगा ' भाई,
हमको एक बात दो समझाई ,
हमरे पिताजी के बस छोटे भाई,
नहीं उनका कोई बड़ा भाई,
तो फिर इसको होना चाही,
कविचाची, और न की कविताई ! '

इसलिए हम कहते है पाई ,
खेल ये दिमागी नहीं है साईं,
इसलिए छोड़ो मगज खपाई, 
न समय  की करों यूँ गवाई,
अगर अब भी बात न समझ आई,
तो छोड़ो मुई को, आगे बढ़ो भाई,
है और भी ग़म, जमाने में भाई ,
 उनको ही  लो आजमाई !

जहां  तक 'मजाल'  का सवाल हाई ,
तो हम वापस देतें  दोहराई ,
की वक़्त ही वक़्त कमबख्त है भाई,
क्या कीजे, गर न कीजे  कविताई ....  !

13 comments:

  1. सुन्दर रचना है!
    --

    प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
    आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
    --
    आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
    दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

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  2. हमने तो बन्द कर दी सर खपाई.
    ये भी न समझ सके कि समझ में आई या न आई.

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  3. आज तो बहुत कुछ समझ आई

    और आप को दीपावली की बधाई |

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  4. वो, जिसे कहते है कविताई,
    बनाने वाले ने, ऐसी बनाई,
    की सीधे समझ आई तो आई,
    और जो न आई, तो न आई !
    हा हा हा सही बात है। आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  5. आप सभी को भी दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ....

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  6. बहुत सुन्दर!
    भैया, आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!

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  7. आज तो हम जैसों को लपेटे में लिया :)
    शुभकामनाएं !

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  8. दीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सारी शुभकामनाएं

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  9. दीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सारी शुभकामनाएं

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  10. आपकी कविता मेरे भाई
    अच्छी तरह से समझ में आई
    ... बहुत अच्छी रचना ।

    दीपावली की शुभकामनाएं।

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  11. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !

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  12. “नन्हें दीपों की माला से स्वर्ण रश्मियों का विस्तार -
    बिना भेद के स्वर्ण रश्मियां आया बांटन ये त्यौहार !
    निश्छल निर्मल पावन मन ,में भाव जगाती दीपशिखाएं ,
    बिना भेद अरु राग-द्वेष के सबके मन करती उजियार !! “

    हैप्पी दीवाली-सुकुमार गीतकार राकेश खण्डेलवाल

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  13. बढ़िया!!


    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल 'समीर'

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