!
ओं !
सुनो !
मजाल !
इसी तरह से,
बीच बीच में एंटर,
मार कर बन जाता है,
गद्य लेखन पद्य और फिर,
वो मुझे प्यार से कहती है की देखो,
ये है मेरी आधुनिक कविता !
ऊपर से नीचे तक देखता हूँ,
पढ़ता हुआ उसे, मगर,
समझ नहीं पाता ,
तो कह देता हूँ,
डिजाईन ,
अच्छा,
है !
!
waakai mein sir design acha hai
ReplyDeletehaha hahaha
ReplyDeleteachha hai mazaal saab ..design wakai achha hai
बस हमारा भी यही कहना है कि डिजाइन अच्छा है। यही है आधुनिक कविता।
ReplyDeleteस्वेटर की डिज़ाइन तो सुना-देखा था,आज कविता की डिज़ाइन देखकर और पढ़कर धन्य हुआ।
ReplyDeleteओह ! कविता है कि कविता-चित्र
ReplyDeleteवाह ..बहुत डिजाइनर कविता है ...
ReplyDeleteवाह! क्या बात है!
ReplyDeleteआधुनिक कविता क्या बात है
ReplyDeleteसही जगह इंटर मारा है, वाकई डिजाईन अच्छा है | ओह तो ये आप को भी लगता है मुझे लगा की मुझे ही कविता की समझ नहीं है और गद्य पद्य का अंतर नहीं करपाती हु |
ReplyDeleteबिल्कुल सही .....विशुद्ध हास्य
ReplyDeleteसही मे डिजाईन अच्छा है।
ReplyDeleteमुझे तो ये डिजाइन किसी पेटू आदमी का अहसास करा रहा है ! अच्छा है :)
ReplyDeleteवाक्यी डिज़ाइन अच्छा है ! गुड !
ReplyDeleteडिज़ाईन शानदार है, बधाई स्वीकारो!!
ReplyDeleteवाकई ये डिज़ाईन भी बहुत अच्छा है। क्या उसकी नकल है? अच्छी रचना के लिये बधाई।
ReplyDeleteachchhi design hai.........:)
ReplyDeleteisliye follow kar raha hoon.........sayad kuchh design bha jaye...........
समझ नहीं पाता ,
ReplyDeleteतो कह देता हूँ,
डिजाईन ,
अच्छा,
है !
बहुत खूब