Sunday, December 12, 2010

विशुद्ध हास्य - आधुनिक कविता ( Hasya Kavita - Majaal )

!
ओं !
सुनो !
मजाल !
इसी तरह से,
बीच बीच में एंटर,
मार कर बन जाता है,
गद्य लेखन पद्य और फिर,
वो मुझे प्यार से कहती है की देखो,
ये है मेरी आधुनिक कविता !
ऊपर से नीचे तक देखता हूँ,
पढ़ता हुआ उसे, मगर,
समझ नहीं पाता ,
तो कह देता हूँ,
डिजाईन ,
अच्छा,
है !
!

17 comments:

  1. haha hahaha
    achha hai mazaal saab ..design wakai achha hai

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  2. बस हमारा भी यही कहना है कि डिजाइन अच्‍छा है। यही है आधुनिक कविता।

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  3. स्वेटर की डिज़ाइन तो सुना-देखा था,आज कविता की डिज़ाइन देखकर और पढ़कर धन्य हुआ।

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  4. वाह ..बहुत डिजाइनर कविता है ...

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  5. वाह! क्या बात है!

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  6. आधुनिक कविता क्या बात है

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  7. सही जगह इंटर मारा है, वाकई डिजाईन अच्छा है | ओह तो ये आप को भी लगता है मुझे लगा की मुझे ही कविता की समझ नहीं है और गद्य पद्य का अंतर नहीं करपाती हु |

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  8. बिल्कुल सही .....विशुद्ध हास्य

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  9. सही मे डिजाईन अच्छा है।

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  10. मुझे तो ये डिजाइन किसी पेटू आदमी का अहसास करा रहा है ! अच्छा है :)

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  11. वाक्यी डिज़ाइन अच्छा है ! गुड !

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  12. डिज़ाईन शानदार है, बधाई स्वीकारो!!

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  13. वाकई ये डिज़ाईन भी बहुत अच्छा है। क्या उसकी नकल है? अच्छी रचना के लिये बधाई।

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  14. achchhi design hai.........:)

    isliye follow kar raha hoon.........sayad kuchh design bha jaye...........

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  15. समझ नहीं पाता ,
    तो कह देता हूँ,
    डिजाईन ,
    अच्छा,
    है !
    बहुत खूब

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