Saturday, December 11, 2010

शायरी - यादों की चुस्कियाँ ( Shayari - Majaal )

कुछ घरेलु किस्म की शायरी ;)

मौके बेमौके हो जाते मेहरबान से,
बच कर ही रहिये ऐसे कद्रदान से !
 
जली जुबान दिन भर रखेगी परेशान,
यादों की चुस्कियाँ लीजिये इत्मीनान से !

नज़रंदाज़ कर करके संभाले है रिश्ते,
एक से सुना, निकला दूसरे कान से !

सुलझेगा न मुद्दा, नुमाइश ही होगी,
खबर न बाहर जाने पाए मकान से !

सबकुछ मयस्सर, फिर भी क्या कमी है ?
'मजाल' कभी कभी जिंदगी ताकते हैरान से !

8 comments:

  1. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

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  2. सुलझेगा न मुद्दा, नुमाइश ही होगी,
    खबर न बाहर जाने पाए मकान से !

    बिलकुल सही ...अच्छी चुस्कियां यादों की

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  3. जली जुबान दिन भर रखेगी परेशान,
    यादों की चुस्कियाँ लीजिये इत्मीनान से !
    achcha laga

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  4. सुलझेगा न मुद्दा, नुमाइश ही होगी,
    खबर न बाहर जाने पाए मकान से !
    बिलकुल सही .....

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  5. सुलझेगा न मुद्दा, नुमाइश ही होगी,
    खबर न बाहर जाने पाए मकान से !

    बहुत खूब ....

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  6. बात घर से बाहर ना जाने दीजियेगा तो घरेलू ही कह लायेगी :)

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  7. वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर!

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