Friday, January 7, 2011

शायरी (Shayari - Majaal)

जिंदगी एक शगल है,
कई  चीज़ों में दखल है !

इधर उधर जो  ढूँढते,
ख़ुशी  तुम्हारे बगल है !

सोचे वादी खाली इन दिनों,
सुकूँ की चहल पहल है !


अरमान गोया कपड़े हो,
हर वक़्त अदल बदल है !

फिर से फुर्सत फिराक में,
नतीजा वही, ग़ज़ल है !

जिंदगी पूरी होती 'मजाल'  
ये मुद्दा क्या दरअसल है  ?!

14 comments:

  1. जी हा ख़ुशी तो वाकई बगल में मिली और उसे पा कर खुश है |

    ReplyDelete
  2. बहुत खुब। बेहतरीन चित्रण किया है आपने।

    ReplyDelete
  3. जिंदगी एक शगल है,
    कई चीज़ों में दखल है !

    इधर उधर जो ढूँढते,
    ख़ुशी तुम्हारे बगल है !
    ...vaah bahut khoob.

    ReplyDelete
  4. फिर से फुर्सत फिराक में,
    नतीजा वही, ग़ज़ल है !
    बिलकुल सही कहा। जब कम्बख्त वक्त काटे न कटे तो गज़ल बन जाती है। अच्छी लगी पूरी गज़ल। बधाई। वक्त

    ReplyDelete
  5. वाह! क्या बात है!

    ReplyDelete
  6. अरमान गोया कपड़े हो,
    हर वक़्त अदल बदल है !

    बहुत ख़ूब।
    आपका कहने का अंदाज़ ही अलग है और इसीलिए मोहक है।

    ReplyDelete
  7. सोचे वादी खाली इन दिनों
    सुकूँ की चहल पहल है !


    आज के दिन अपनी पसंद यही है !

    ReplyDelete
  8. हैप्पी न्यू ईयर.....

    ReplyDelete
  9. अच्छी लगी पूरी गज़ल। बधाई।

    ReplyDelete
  10. जिंदगी एक शगल है,
    कई चीज़ों में दखल है !

    अच्छी और सच्ची अभिव्यक्ति.....

    ReplyDelete
  11. सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......

    ReplyDelete