जिंदगी एक शगल है,
कई चीज़ों में दखल है !
इधर उधर जो ढूँढते,
ख़ुशी तुम्हारे बगल है !
सोचे वादी खाली इन दिनों,
सुकूँ की चहल पहल है !
अरमान गोया कपड़े हो,
हर वक़्त अदल बदल है !
फिर से फुर्सत फिराक में,
नतीजा वही, ग़ज़ल है !
जिंदगी पूरी होती 'मजाल'
ये मुद्दा क्या दरअसल है ?!
जी हा ख़ुशी तो वाकई बगल में मिली और उसे पा कर खुश है |
ReplyDeleteबहुत खुब। बेहतरीन चित्रण किया है आपने।
ReplyDeleteजिंदगी एक शगल है,
ReplyDeleteकई चीज़ों में दखल है !
इधर उधर जो ढूँढते,
ख़ुशी तुम्हारे बगल है !
...vaah bahut khoob.
फिर से फुर्सत फिराक में,
ReplyDeleteनतीजा वही, ग़ज़ल है !
बिलकुल सही कहा। जब कम्बख्त वक्त काटे न कटे तो गज़ल बन जाती है। अच्छी लगी पूरी गज़ल। बधाई। वक्त
वाह! क्या बात है!
ReplyDeletewah ustad ji wah
ReplyDeleteअरमान गोया कपड़े हो,
ReplyDeleteहर वक़्त अदल बदल है !
बहुत ख़ूब।
आपका कहने का अंदाज़ ही अलग है और इसीलिए मोहक है।
सुन्दर शेर
ReplyDeleteसोचे वादी खाली इन दिनों
ReplyDeleteसुकूँ की चहल पहल है !
आज के दिन अपनी पसंद यही है !
हैप्पी न्यू ईयर.....
ReplyDeletejai ho.......
ReplyDeleteअच्छी लगी पूरी गज़ल। बधाई।
ReplyDeleteजिंदगी एक शगल है,
ReplyDeleteकई चीज़ों में दखल है !
अच्छी और सच्ची अभिव्यक्ति.....
सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......
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