वक़्त ही वक़्त कमबख्त ! हास्य कविता,व्यंग्य,शायरी व अन्य दिमागी खुराफतों का संकलन (Majaal)
वक़्त ही वक़्त कमबख्त है भाई, क्या कीजे गर न कीजे कविताई !
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Thursday, November 25, 2010
कुछ फुटकर हास्य-कविताएँ ( Hasya Kavitaen - Majaal )
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कुछ फुटकर हास्य कविताएँ, या फिर कुछ कुछ मजालिया किस्म की नज्में ही समझिये ..... 1. जब, पूरी ताकत लगाने पर, झटके दे दे कर, ...
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