Saturday, January 15, 2011

शायरी पर शायरी (Shayari - Majaal )

हमें सोचा की बस बनी,
रही वो जस की तस बनी !

जब तक जस्बात जब्त थे,
हालत रहमो तरस  बनी !

गर्मी थी, बेकसी अन्दर,
बाहर सुकून-ए-खस बनी !

कभी निकली बनके महक,
कभी मवाद-ए- पस बनी !

ग़ालिब ताउम्र जुटे 'मजाल',
तब जाकर ढंग की दस बनी !

21 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

कम से कम बनी तो

anshumala said...

कभी निकली बनके महक,
कभी मवाद-ए- पस बनी !

शरीर आत्मा की गन्दगी बाहर आ जाये तो वो भी अच्छा है |

Rajeysha said...

तब जाकर ये ढंग की 10 बनी'- मुझे नहीं लगता ये हो पाया।

किलर झपाटा said...

चिरकीन को उठा कर यहाँ ले आए हो और वाहवाही मजाल के नाम पर बटोर रहे हो गन्दे आदमी। वैरी बैड।

उम्मतें said...

एक एक शेर कई कई बार पढ़ा समझ में नहीं आ रहा कि,किन लफ़्ज़ों में तारीफ़ करूं !

निर्मला कपिला said...

गर्मी थी, बेकसी अन्दर,
बाहर सुकून-ए-खस बनी !

कभी निकली बनके महक,
कभी मवाद-ए- पस बनी !
आखिर मजाल कितनी सुन्दर गज़ल बनी। मतला तो लाजवाब है बधाई।

महेन्‍द्र वर्मा said...

गर्मी थी, बेकसी अन्दर,
बाहर सुकून-ए-खस बनी !

वाह, कमाल की ग़ज़ल है।
...अच्छी लगी।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

जितनी भी बन जाएँ अच्छा हैं..... वैसे यह दस कमाल बनी हैं......

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

मजाल जी

बहुत ख़ूब !
गर्मी थी, बेकसी अन्दर,
बाहर सुकून-ए-खस बनी !


ग़ालिब की दस ही बनी … बेचारे आपसे पीछे ही रहे … :)

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Anamikaghatak said...

bahut achchhe

kumar zahid said...

बेहतर


किसकी बनी है आला ए नापायदार में ?

saim said...

awesome..

funny sms

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

गजब शायरी।
---------
ध्‍यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्‍दर्य को निरखने का अवसर।

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

मजाल की मजाल तो देखो....
ग़ालिब की मेहनत भी सर्कस बनी!!!
भाई, खड़े होके सैल्यूट!
आशीष
---
लम्हा!!!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

मजाल साहब

कहां हैं ?

बीते , बहुत दिन बीते … :)

होली की अग्रिम शुभकामनाएं !

दिगम्बर नासवा said...

कभी निकली बनके महक,
कभी मवाद-ए- पस बनी ....

Bahut khoob ... ye gazal to lajawaab hi bahi hai ...

Unknown said...

मेरा ब्लॉग पड़े ..भावनाओं का संग्रह....
http://shalinigaur10.blogspot.com/search?updated-min=2011-01-01T00%3A00%3A00-08%3A00&updated-max=2012-01-01T00%3A00%3A00-08%3A00&max-results=5

Jennifer said...

I inspire your blog. Its simple and perfect collections.

web hosting india

Satish Saxena said...

:-)
कहाँ गायब हैं आजकल मजाल साहब ??

SANDEEP PANWAR said...

आजकल आप कहाँ हो आगे नहीं लिख रहे हो?

देवेन्द्र पाण्डेय said...

छोटे बहर की लाज़वाब गज़ल है।

Related Posts with Thumbnails