Monday, October 4, 2010

मोटूराम ! बाल कविता (हास्य) ( Bal Hasya Kavita - Majaal )

मोटूराम ! मोटूराम !
दिन भर खाते जाए जाम,
पेट को न दे जरा आराम,
मोटूराम ! मोटूराम !

स्कूल जो जाए मोटूराम,
दोस्त सताए खुलेआम,
मोटू, तू है तोंदूराम  !
हमारी  कमर, तेरा  गोदाम !

तैश में आएँ मोटूराम !
भागे पीछे सरेआम,
पर बाकी सब पतलूराम !
पीछे रह जाएँ मोटूराम !

रोते घर आएँ मोटूराम,
सर उठा लें पूरा धाम,
माँ पुचकारे छोटूराम,
मत रो बेटा , खा ले आम !

जब जब रोतें मोटूराम,
तब तब सूते जाए आम,
और करें कुछ, काम न धाम,
मुटियाते जाएँ मोटूराम !

एक दिन पेट में उठा संग्राम !
डाक्टर के पास मोटूराम,
सुई लगी, चिल्लाए ' राम' !
' राम, राम ! हाए राम !'

तब जाने  सेहत के दाम,
अब हर रोज़ करें व्यायाम,
धीरे धीरे घटा वज़न,
पतले हो गए मोटूराम !

9 comments:

  1. मजाल जी , मजा आ गया

    क्योंकि

    मजाल की ही मजाल है कि मजाल के आगे किसी की मजाल नहीं कि मजा ले ले कर मजा ले सके और मजा दे सके !



    मोटूराम अच्छी बाल कविता है जी

    पतले हो'कर भी बेचारे रहे मोटूराम ही हा हा हा

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. Bahut mazedaar! Aur kuchh mote bachhon ke liye hitprad bhi!

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  3. बहुत बढ़िया ...हर रंग में रंगे हैं आप ..

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  4. अच्छी खासी खाती पीती कविता है ! पर किसी की मजाल है जो सुई लगा जाये !

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  5. मुझे लगा कि यह कहीं मुझ पर तो नहीं लिख दी तैश में आ गया ....डॉ पास नहीं जाना !
    आखिर में रास्ता तो बता दिया थैंक यू भैया !

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  6. इतनी मजाल कि हमे सुना रहे हो। हम तो मोटे ही रहेंगे । मगर सब से आगे\ हा हा हा। बडिय़ा बधाई
    कृ्प्या मेरा ये ब्लाग भी देखें
    http://veeranchalgatha.blogspot.com/
    धन्यवाद।

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