जाने कैसा गुज़रना है साल ये ?
अभी से है हजूर के जब हाल ये !
क्या, क्यों, किसलिए, सुलझे तो कैसे ?
जवाबों से ही निकलते सवाल ये !
दो पागल, और दोनों बराबर !
ख़त्म नहीं होता दिखे बवाल ये !
बात तब बने, जब मकम्मल हो वर्ना,
पल में गायब हो जाते ख़याल ये !
चार दिन हुए नहीं महफ़िल सजाए,
इनके तेवर तो देखिये, मजाल ये !
:-) वाह! ज़बरदस्त.
ReplyDeleteचार दिन हुए नहीं महफ़िल सजाए,
ReplyDeleteइनके तेवर तो देखिये, मजाल ये !
बहुत खूब। बधाई।
क्या, क्यों, किसलिए, सुलझे तो कैसे ?
ReplyDeleteजवाबों से ही निकलते सवाल ये !
...jabaradast.
अपनी पसंद :)
ReplyDeleteबात तब बने, जब मकम्मल हो वर्ना,
पल में गायब हो जाते ख़याल ये !
आप सभी का ब्लॉग पर पधारने के लिए आभार ....
ReplyDeletekya kahane
ReplyDeleteक्या बात है भाई...बहुत खूब...वाह...
ReplyDeleteनीरज
दो पागल, और दोनों बराबर..
ReplyDeleteपागल हैं तो बराबर नहीं होंगे !!!
:-))
दो पागल, और दोनों बराबर..
ReplyDeleteपागल हैं तो बराबर नहीं होंगे !!!
:-))