Wednesday, November 10, 2010

' कलाकारी !' : हास्य-कविता, ( Hasya Kavita - Majaal )

हमारे मित्र,
देखने प्रदर्शनी चित्र,
दिन रविवार,
सपरिवार.

सामने चित्र,
स्थिति  विचित्र,
मित्र सोचे, 'वाह ! क्या चित्रकारी ! ',
उनकी बीवी सोचे, 'वाह ! क्या साड़ी ! '
छोटा बच्चा सोचे, ' वाह ! क्या गाड़ी ! '
बड़ा वाला सोचे, ' वाह ! क्या नारी !'

एक ही दुनिया में,
मौजूद रंग कितने,
है सबने पाई,
अपनी अलग नज़र, 
अपनी अपनी समझदारी.
बनाने वाले ने खूब बनाई,
तस्वीर-ए-बेमिसाल,
दाद दीजिये 'मजाल',
ऊपरवाले की कलाकारी !

10 comments:

  1. हा हा हा…………सबका अपना अपना नज़रिया है…………गज़ब्।

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  2. ha ha ha..sab ऊपरवाले की कलाकारी ! hai.

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  3. जी हा सभी का अपना नजरिया है भगावन की कोई एक कलाकारी किसी को अच्छी तो किसी को बुरी लगती है |

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  4. बहुत ही सुन्‍दर .......।

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  5. आप सभी लोगों का ब्लॉग पर पधारने के लिए आभार ....

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  6. जाकि रही भावना जैसी
    प्रभु मूरत देखि तिन तैसी
    सुन्दर रचना!

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  7. कुदरत से बडा कलाकार कोई नहीं ! बाकी सबका अपना नज़रिया !

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  8. सही कहा भाई, सबकी अपनी नजर और सबका अपना नजरिया।

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