Sunday, November 14, 2010

शायरी - ' यूँ ही रस्ते मिल जाए कोई, बेवजह रिश्ते निभाए कोई ! ' (Shayari - Majaal)

यूँ ही रस्ते मिल जाए कोई,
बेवजह रिश्ते निभाए कोई !

कईयों को देखा है रोते हुए,
बस इसलिए की हँसाए कोई !

नर्म बिस्तर पर नींद कहाँ ?
माँ जैसी लोरी सुनाए कोई !  

इश्क, रश्क, अश्क, खर्च,
बीमारियों से बचाए कोई !

मस्जिद मंदिर में मिला नहीं,
अबके सही पता बताए कोई !

कैसे मना करोगे 'मजाल',
बच्चो सा मुस्कुराए कोई !

6 comments:

  1. कईयों को देखा है रोते हुए,
    बस इसलिए की हँसाए कोई !

    मस्जिद मंदिर में मिला नहीं,
    अबके सही पता बताए कोई !

    बहुत अच्छी गज़ल...

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  2. नर्म बिस्तर पर नींद कहाँ ?
    माँ जैसी लोरी सुनाए कोई !

    इश्क, रश्क, अश्क, खर्च,
    बीमारियों से बचाए कोई !

    वह .. सुभान अल्ला ... क्या गाब के शेर निकाले हैं छोटी बहरमें ... समाज का आइना ... .

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  3. प्रतिक्रियाओं के लिए आप सभी का आभार ....

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  4. झाँकों अपने गरीबां में पहले मियाँ
    साध लो इश्क को , दो दुआएं कोई

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