यूँ ही रस्ते मिल जाए कोई,
बेवजह रिश्ते निभाए कोई !
कईयों को देखा है रोते हुए,
बस इसलिए की हँसाए कोई !
नर्म बिस्तर पर नींद कहाँ ?
माँ जैसी लोरी सुनाए कोई !
इश्क, रश्क, अश्क, खर्च,
बीमारियों से बचाए कोई !
मस्जिद मंदिर में मिला नहीं,
अबके सही पता बताए कोई !
कैसे मना करोगे 'मजाल',
बच्चो सा मुस्कुराए कोई !
6 comments:
muskurahat par to dil jaan sab kuchh nissaar.
कईयों को देखा है रोते हुए,
बस इसलिए की हँसाए कोई !
मस्जिद मंदिर में मिला नहीं,
अबके सही पता बताए कोई !
बहुत अच्छी गज़ल...
बहुत सुन्दर!
नर्म बिस्तर पर नींद कहाँ ?
माँ जैसी लोरी सुनाए कोई !
इश्क, रश्क, अश्क, खर्च,
बीमारियों से बचाए कोई !
वह .. सुभान अल्ला ... क्या गाब के शेर निकाले हैं छोटी बहरमें ... समाज का आइना ... .
प्रतिक्रियाओं के लिए आप सभी का आभार ....
झाँकों अपने गरीबां में पहले मियाँ
साध लो इश्क को , दो दुआएं कोई
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