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Wednesday, November 3, 2010

एक ग़ज़ल : किसी ने तेरा बुरा भला कब किया ? किया खुदी का अपना, तूने जब किया ! Shayri - Majaal)

किसी ने  तेरा बुरा भला  कब किया  ?
किया खुदी का अपना, तूने जब किया !

बस थोड़े से में सीखी पूरी जिंदगी,
पूरा किया पर उसे, जो भी जब किया !

जो टालते गए, वो टालते गए,
उसी ने किया, जिसने अब किया !
 
हसीं, प्यार, रश्क, अश्क एक में,
या खुदा ! ये तूने क्या गज़ब किया !

हमको तो कभी मिला जवाब ना,
ताउम्र जिंदगी से है तलब किया !

'मजाल' हँसने की वजह कोई नहीं,
पर रोने का भी बताएँ, सबब किया ?!
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