Showing posts with label बिना मात्रा की कविता. Show all posts
Showing posts with label बिना मात्रा की कविता. Show all posts

Wednesday, November 17, 2010

काला हास्य - ' म र ण '

बचपन, हमदम
हस, ग़म,
सब समरण,

एक एक कर,
मगर, न लय,
सब उलट  पलट,
सरपट  धड़ धड़  !
न जल हलक
मगर,
बदन,
तर ब तर !
  
सस कम पल पल,
कम दम क्षण क्षण,
च,
तत पशचत,  
ख़तम सब  !
धन, घर, यश,
सब रह गय धर !
मट दफ़न मट !
सब परशन  हल,
पर,
हर जन असफल, 
सकल !

Saturday, November 6, 2010

दर्शन हास्य - " प र व च न ! "

भगवन !
यह जगत भगदड़ !
सब तरफ भगमभग !
" हम परथम ! हम परथम !" सब बस यह रट !
मन व्यथत !
यह जगत,
लगत असत मम !
बस उलझन उलझन !
यह प्रशन, मम समझ पर !
मदद !!!
हल ! भगवन ! हल !

वत्स 'भरम मल' !
जगत सरल !
न प्रशन , न उत्तर, न लक्ष्य !
यह बस यह ; जस तस  !
यह सब भरम, दरअसल,  मन उपज !
जब मन भरमन सतत ,
तब हरदय धक धक !
धड़कन बढ़त - न वजह !
अतह, मत मचल !
धर सबर !

जब  जब मन असमनजस,
तब नयन बन्द,
कर  स्मरण मम !
हम सत्य !

हम अटल !
चरम, हम परम !
हम ब्रह्म !

कर श्रवण वचन मम !
जब मन व्यथत,
कर गरहण, अन्न जल,
हलक भर भर !
ढक  तन,
कर शयन - गहन !
तज सब मम पर !
तवम सब असमनजस, सब भय,
हम लय हर!

रह मस्त,रह मगन !
बस यह - यह बस !
फकत !

जगत सरल !

Thursday, October 14, 2010

' च न क ट ! ' - हास्य-कविता ( Hasya Kavita - Majaal )

उफ़ !
वह समय !
जब तवम,
यह जगत,
उपसथत !

तवम परम जड़ मत !
सब यतन-जतन,
सब  गरह,
तवम समक्ष,
असफल !
' यह मम रच ?! '
सवयम भगवन अचरज ! 

यह बड़ कद कठ,
न कम धम करत ,
बस धन खरच,
खपत खपत फकत !
हमर नक दम,
जब तब !

कमबखत !
करम जल !
हम गय पक ! 
समझ यह  हद !
अब जल सर चढ़ !
हमर सबर ख़तम !

अगर अब करत उलट पलट !
तवम पठ, हमर लठ !
बक बक न कर,
हम धर, 
एक चनकट !

Saturday, October 9, 2010

' धत !!! ' : हास्य-कविता ( Hasya Kavita - Majaal )

' धत !!!'  - कलात्मक हास्य (बिना मात्रा )

' तब कब ? '
' कल ! '

'तवम न अवगत,
वह कहवत -  न टल कर पर, कर अब ! 
तवम इक इक हरकत,
हमर प्रण हर !
तवम अधर - रस रस !
सब इनदरय तड़पत फड़ फड़ !
न बन हरदय पतथर !
बस एक,
एक बस !
लब पर लब सपरश ! '

'यह समय ?
न प्रशन !'

' तब कब ? रत बखत ? '

' धत  !!! '

Thursday, September 23, 2010

हास्य - बिना मात्रा की कविता ! ( अगर न अब, तब कब ?! )

बिना मात्रा की कविता - २

वह कहत,
अधरम बढ़त जब-जब,
हम परकट !

अखयन  कम ?
नयन ख़तम ?
यह वकत  सखत,
तवम न अवगत ?!
चल हट!
तवम असत!
न करत,
बस कहत,
फकत !

हरपल, हरदम,
ग़म बस गम ! 
हर जगह छल कपट,
लगत यह - सब जन,
मत गय मरत ! 

धन कम पर,
न कम खपत !
समधन, हमदम,
सब गयत भग!
नयन बनत  जल तट !
सनशय, सनशय, सब तरफ ! 
मन भय - परलय कब ?!

कम यह सबब ?
भगवन !
अब यह हद !

अगर,
अब न परकट,
तब कब ?

वद ! वद !

Wednesday, September 15, 2010

बिना मात्रा की कविता .. !

नयन जल भरत,
टपक टपक बहत,
हरदय करत दरद,
अनवरत !

सब कहत,
वह बस - अप गरज,
पर,
यह मन,
न सहमत !

करत नटखट वह,
हम फसत !

हम कहत कहत थकत,
यह मगर, हठ करत,
बस खट -पट , खट- पट,
सतत !

हर बखत,
बस यह रट,
"दरसन ! दरसन !"

बस एक झलक,
फकत,
कमबखत !
Related Posts with Thumbnails