बस खयालों में ही जिंदगी न गढ़ी जाए,
बातें कुछ तजुर्बे से भी कही जाए !
ये हालत इतने बुरे भी कहाँ यारों,
अखबार-ए-जिंदगी भी कभी पढ़ी जाए !
औरों की खबर हुज़ूर होगी बाद में,
पहले अपने ईमाँ से तो जंग लड़ी जाए !
उम्मीद माँगे कहाँ बड़ा सूरमा ?
'मजाल' से ही गिनती शुरू करी जाए !
9 comments:
Bahot khoob... bahot achcha likha hai... english waale blog pe aane ke liye shukriya... abhi spanish mein shuruaat nahi ki hai.. shaayad kabhi ho... abhi urdu likhne aur padne ki koshish mein hoon... urdu se meethi zabaan koi nahi...
तीसरा शे’र बहुत अच्छा है..
ये हालत इतने बुरे भी कहाँ यारों,
अखबार-ए-जिंदगी भी कभी पढ़ी जाए ..
bahut khoob!
अच्छा लगा |
अंगुलिया खुदपे जो उठ्ठें यारो
तोहमतें और पे मढी जाये :)
पहले अपने ईमाँ से तो जंग लड़ी जाए !
बहुत खूब!
सच कहा आपने ……॥अच्छे काम की शुरुआत अपने से करनी चाहिये………सुन्दर रचना
बढिया है।
bahoot achi rachna
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