Tuesday, December 21, 2010

शायरी ( Shayari - Majaal )

बस खयालों में ही जिंदगी न गढ़ी जाए,
बातें कुछ तजुर्बे से भी कही जाए !

ये हालत इतने बुरे भी कहाँ यारों,
अखबार-ए-जिंदगी भी कभी पढ़ी जाए !

 औरों की खबर हुज़ूर होगी बाद में,
पहले अपने ईमाँ  से तो जंग लड़ी जाए !

उम्मीद माँगे कहाँ बड़ा सूरमा ?
'मजाल' से ही गिनती शुरू करी जाए !

9 comments:

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) said...

Bahot khoob... bahot achcha likha hai... english waale blog pe aane ke liye shukriya... abhi spanish mein shuruaat nahi ki hai.. shaayad kabhi ho... abhi urdu likhne aur padne ki koshish mein hoon... urdu se meethi zabaan koi nahi...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

तीसरा शे’र बहुत अच्छा है..

Anonymous said...

ये हालत इतने बुरे भी कहाँ यारों,
अखबार-ए-जिंदगी भी कभी पढ़ी जाए ..
bahut khoob!

anshumala said...

अच्छा लगा |

उम्मतें said...

अंगुलिया खुदपे जो उठ्ठें यारो
तोहमतें और पे मढी जाये :)

अनुपमा पाठक said...

पहले अपने ईमाँ से तो जंग लड़ी जाए !
बहुत खूब!

Anamikaghatak said...

सच कहा आपने ……॥अच्छे काम की शुरुआत अपने से करनी चाहिये………सुन्दर रचना

अजित गुप्ता का कोना said...

बढिया है।

Alokita Gupta said...

bahoot achi rachna

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