वक़्त ही वक़्त कमबख्त ! हास्य कविता,व्यंग्य,शायरी व अन्य दिमागी खुराफतों का संकलन (Majaal)
वक़्त ही वक़्त कमबख्त है भाई, क्या कीजे गर न कीजे कविताई !
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Tuesday, October 5, 2010
मौत - ब्लैक कॉमेडी (काला हास्य)
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पड़ा वक़्त का कोड़ा, सरपट दौड़ा घोड़ा, कभी धीरे मरोड़ा, कभी अचानक हथौड़ा, सब एक झटके में तोड़ा, काम न आया जोड़ा, फुन्सी बनी फोड़ा, सयाना...
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