वक़्त ही वक़्त कमबख्त ! हास्य कविता,व्यंग्य,शायरी व अन्य दिमागी खुराफतों का संकलन (Majaal)

वक़्त ही वक़्त कमबख्त है भाई, क्या कीजे गर न कीजे कविताई !

Showing posts with label व्यंग्य. Show all posts
Showing posts with label व्यंग्य. Show all posts
Saturday, October 23, 2010

एक ग़ज़ल

›
बस रश्क, बीमारी, लोगों की दुहाई रखी है, जिंदगी भर की तूने, ये क्या कमाई रखी है ?! अब हमें मालूम पड़ा, उसकी परेशानी का सबब, दूसरों से ब...
7 comments:
›
Home
View web version

About Me

My photo
Manish aka Manu Majaal
View my complete profile
Powered by Blogger.