मोटूराम ! मोटूराम !
दिन भर खाते जाए जाम,
पेट को न दे जरा आराम,
मोटूराम ! मोटूराम !
स्कूल जो जाए मोटूराम,
दोस्त सताए खुलेआम,
मोटू, तू है तोंदूराम !
हमारी कमर, तेरा गोदाम !
तैश में आएँ मोटूराम !
भागे पीछे सरेआम,
पर बाकी सब पतलूराम !
पीछे रह जाएँ मोटूराम !
रोते घर आएँ मोटूराम,
सर उठा लें पूरा धाम,
माँ पुचकारे छोटूराम,
मत रो बेटा , खा ले आम !
जब जब रोतें मोटूराम,
तब तब सूते जाए आम,
और करें कुछ, काम न धाम,
मुटियाते जाएँ मोटूराम !
एक दिन पेट में उठा संग्राम !
डाक्टर के पास मोटूराम,
सुई लगी, चिल्लाए ' राम' !
' राम, राम ! हाए राम !'
तब जाने सेहत के दाम,
अब हर रोज़ करें व्यायाम,
धीरे धीरे घटा वज़न,
पतले हो गए मोटूराम !
9 comments:
मजाल जी , मजा आ गया
क्योंकि
मजाल की ही मजाल है कि मजाल के आगे किसी की मजाल नहीं कि मजा ले ले कर मजा ले सके और मजा दे सके !
मोटूराम अच्छी बाल कविता है जी
पतले हो'कर भी बेचारे रहे मोटूराम ही हा हा हा
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bal kavita ka apna hi anand hai....sadhuwad....
bal kavita ka apna hi anand hai....sadhuwad....
Bahut mazedaar! Aur kuchh mote bachhon ke liye hitprad bhi!
बहुत बढ़िया ...हर रंग में रंगे हैं आप ..
अच्छी खासी खाती पीती कविता है ! पर किसी की मजाल है जो सुई लगा जाये !
मुझे लगा कि यह कहीं मुझ पर तो नहीं लिख दी तैश में आ गया ....डॉ पास नहीं जाना !
आखिर में रास्ता तो बता दिया थैंक यू भैया !
इतनी मजाल कि हमे सुना रहे हो। हम तो मोटे ही रहेंगे । मगर सब से आगे\ हा हा हा। बडिय़ा बधाई
कृ्प्या मेरा ये ब्लाग भी देखें
http://veeranchalgatha.blogspot.com/
धन्यवाद।
awesum!!!! kavita
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