पड़ा वक़्त का कोड़ा,
सरपट दौड़ा घोड़ा,
कभी धीरे मरोड़ा,
कभी अचानक हथौड़ा,
सब एक झटके में तोड़ा,
काम न आया जोड़ा,
फुन्सी बनी फोड़ा,
सयाना हुआ निगोड़ा,
कोई नब्बे, कोई सोला,
हो शर्मा या अरोड़ा,
करके थोडा थोडा,
पूरा पूरा निचोड़ा,
मौत ने ऐ 'मजाल',
कहाँ किसी को छोड़ा...
6 comments:
वाह वाह । ये तो सच मे ब्लैक कामेडी है। आपने भी श्ब्दों को खूब निचोडा चाहे थोडा थोडा। बधाई
कृ्प्या मेरा ये ब्लाग भी देखें
http://veeranchalgatha.blogspot.com/
chalo pata laga kala hasya bhi hota hai....
इस हास्य पर कितने मुंह स्याह हो जाते हैं :)
black comedy..... badi wazandaar hai.... achhi post...
bahut satik vyangyapurn kavita.
बहुत अच्छे लगी आपकी जोड़ तोड़ की कामेडी ..... बहुत मज़ा आया ....
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