बचपन में खेलते थे, हम एक 'खेल',
खेल था 'मजेदार', पर था बेमेल,
मजेदार क्यों था, ये तो न 'पता',
पता जाए भाड़ में, 'मज़ा' तो उसमें था !
मज़ा यूँ बनता था, की लो एक 'वाक्य',
वाक्य से एक छांट शब्द, 'खीचो' उसे आप,
खीचो उसे आप, 'मतलब' निकले या नहीं,
मतलब जब 'हवा' , आखिर तभी निकले हसीं !
हवा के कारण जीवन, नहीं तो हम 'मरते',
'मरते क्या न करते', हिंदी मुहावरे 'अच्छे '!
अच्छे तो वो है, पर है वो 'बच्चे',
बच्चे, कच्छे जैसे शब्द 'तुकबंदी' जचतें !
तुकबंदी का मतलब, एक जैसे 'स्वर',
स्वर 'कोकिला' होती है, लता मंगेशकर !
कोकिला है गर वो, तो क्यों न रहती 'जंगल' ?
'जंगल में 'मंगल'' थी पिक्चर भयंकर !
मंगल ग्रह में सुना है, 'बस्ता' है जीवन,
बस्ता भारी है, ये कहता है 'मोहन' !
मोहन प्यारे जागो, की 'सुबह' हो गयी नंदलाला,
सुबह का भूला लौटे शाम, 'भूला' नहीं कहलाता !
भूला मैं ख़ुशी, अब बस याद 'ग़म',
ग़म से चिपकता नहीं , टूटा 'ह्रदय' सनम !
हृदय की बीमारी, का आज 'कल' प्रकोप,
कल कल करती है नदी, देती मुझको 'होप' !
होप अंग्रेजी शब्द, मतलब जिसका 'आशा',
आशा मेरे कॉलेज में, थी वो आइटम 'खासा' !
खासा क्यों तू , कहीं तू ग्रसित तो न 'टीबी' ?
टीबी तो नहीं, पर 'भाई', मैं पीड़ित बीवी !
भाई की मेरन गयी सटक, 'कहत' वह गाजर को गोभी,
कहत 'मजाल' - 'ससुरा ई जिंदगी ही चीज़ कुछ तोबी !'
8 comments:
Mazedaar........
धमाका
मजेदार धमाका
वाह क्या मुहावरे क्या तुकबन्दी। बधाई।
क्या खूब लिखते हैं आप...गज़ब...एक शब्द से दुसरे को क्या ख़ूबसूरती से पिरोया है आपने...बधाई स्वीकार करें..
नीरज
'खेल' से 'कुछ तोबी' - वाह !
'ससुरा ई जिंदगी ही चीज़ कुछ तोबी'
'मरेगा कमबख्त इससे भागेगा जोभी'
खूबसूरत संकलन है जी एक दम रापचिक
अद्भुत मनोरंजक रचना लिखते रहिये .अच्छी लगी ये कविता !
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