जो हो गया, सो हो गया,
शोक न कर, खेद न कर,
क्या ?क्यों ? कैसे ? सोच कर,
दिमाग की संधि विच्छेद न कर !
टीना नहीं, मीना सहीं,
मीना नहीं, लीना सही,
जो मिल गया, वो मिल गया,
जो ना मिला, वो ना सहीं !
सम्मान कर तू रूप का,
यौवन में कोई भेद न कर !
शोक न कर, खेद न कर ...
जिंदगी में वैसे ही बहुत,
ग़मों का लगा अंबार है,
दुखों से पहले ही बहुत,
भरा हुआ संसार है,
पहले से फटी जिंदगी,
फटें में तू और छेद न कर !
शोक न कर, खेद न कर ...
ग़म को न दे तवज्जो तू ,
ख़ुशी से न तू फूल जा,
बस ले मज़ा हर पल का एक,
जीवन है झूला, झूल जा !
यादों को याद कर कर के,
क्या भला तू पाएगा ?
बढेगा बस दुख ही तेरा,
बस सोच कर थक जाएगा.
इसलिए मियां 'मजाल',
विचारों की परेड न कर !
शोक न कर खेद न कर ...
माना की हर कदम इसके,
मुसीबतें और आफत है,
मगर प्यारे, जहाँ जिन्दा,
अपनी जाँ जब तक सलामत है !
अभी सजी हुई बाज़ी,
अभी तो तू न हारा है,
बीच में यूँ छोड़ना,
'मजाल' न गवाँरा है,
बाकी अभी फिल्म बहुत,
'interval ' में ही 'the end ' न कर !
शोक न कर, खेद न कर ....
12 comments:
प्रमुदित कर देती रचना।
जो हो गया, सो हो गया,
शोक न कर, खेद न कर,
क्या ?क्यों ? कैसे ? सोच कर,
दिमाग की संधि विच्छेद न कर !
वाह वाह
वाह वाह
कविता ने अच्छा मनोरंजन किया...एक शब्द, कई बार...वाह...
बहुत सही...नो शोक!!
मस्त है..पढ़कर खुशी मिली..आभार.
बस आज जे सब भी खेद होगा इसे खोज लेंगे.
कोई भी जिन्दगी में छेद होगा इसे घोट लेंगे.
बढ़िया हें जी.
आप सभी का पदने और टिपण्णी करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ....
यौवन के प्रति भेदभाव मुक्त आपका नज़रिया पसंद आया और ये विश्वास हो रहा है कि बाकी सारी सहजताएं अपने आप इसके पीछे दौडी चली आयेंगी !
बहुत बढ़िया ....
शोक न करे खेद न करे
वाह .........बहुत ही सुन्दर ।
जय हो………जय हो।
badi hi nirved rachna...बधाई हो।
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