तुझे पाने की हसरत लिए,
हमें एक जमाना हो गया !
नयी नयी शायरी,
करते तेरे पीछे,
देख मैं शायर कितना,
पुराना हो गया !
मुए इस दिल को,
संभालना पड़ता है,
हर वक़्त !
दिल न हुआ गोया,
बिन पजामे का,
नाड़ा हो गया !
मरज में न फरक,
तोहफों में खरच अलग !
इलाज में खाली सारा,
अपना खज़ाना हो गया !
दिल दर्द से भरा,
और जेबें खाली !
ग़म ही इन दिनों,
अपना खाना हो गया !
मुद्दतें हो गयी ,
रोग जाता नहीं दिखता,
अस्पताल ही अब अपना,
ठिकाना हो गया !
तू भी तो बाज़ आ कभी ,
इश्कियापन्ती से 'मजाल'
पागल भी देख तुझे,
कब का सयाना हो गया !
11 comments:
bahut khoob.........shandar
gud
वाह वाह वाह वाह वाह वाह क्या खूब कही है
वाह …………बहुत खूब्।
5/10
हास्य बिखेरती पोस्ट
बढ़िया है ...
कई पंक्तियाँ गुदगुदाती हैं :
"पागल भी देख तुझे,
कब का सयाना हो गया"
vaah...bahut khoob...
आप सभी का ब्लॉग पर पधारने के लिए शुक्रिया ....
मजाल जी ऐसे पागल कहाँ सयाने होते हैं बच कर रहेंइस बीमारी से। शुभकामनायें।
तो फिर आज से सारे सयानों को ...? समझें :)
बहुत बुरा हाल हो गया..खुदा खैर करें....बढ़िया एवं मजेदार कविता..बधाई
हर एक शब्द कुछ कहता है...
सिर्फ एक शब्द........
मजेदार........
“दीपक बाबा की बक बक”
प्यार आजकल........ Love Today.
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