क्लिष्ट !
गूढ़ !
उलझी हुई !
मुश्किल !
पेचीदा !
मगर दिलचस्प !
उर्दू शायरी की तरह तुम, प्रिय !
समझ में तो,
कम ही आती हो,
मगर,
पढ़ने में तुम्हें ,
मज़ा बहुत आता है !
कुल मिला कर,
कुछ खास,
पल्ले तो नहीं पड़ता,
मगर,
कोशिशों में,
समझने के,
प्रयासों में तुम्हें,
वक़्त तुम्हारे साथ,
अपना खूब कट जाता है !
उर्दू शायरी की तरह तुम,
प्रिय !
6 comments:
शेरो शायरी को ले कर अपना भी यही हाल है | पर ये खूब रही |
हर आशिक के साथ कमोबेश यही गुज़रता है !
गज़लों को ले कर अपना भी यही हाल है। शुभकामनायें।
ha ha ha...khub rahi yah vyangya.
आप सभी का प्रतिक्रियाओं के लिए आभार ...
बहुत बढ़िया !उर्दू हमारी भी ठीक से समझ में नहीं आती ,अक्सर ही चकियाये से - बिलकुल आपकी तरह!
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