यह मन चनचल !
भगत इधर उधर,
सब तरफ,
हर वखत !
रत जग जग,
करत सब करतब,
उपदरव ,
बस न पढ़त !
बस न पढ़त !
हम कहत कहत थक,
मगर यह,
समझत कब ?
समझत कब ?
समभल !
अब पल सनकत !
बच सक बच !
हमर ब्रह्म अस्त्र !
कल प्रशन पत्र !
अचरज ?
अब हतभरत ?!
नटखट !
अब मज चख !
अब मज चख !
2 comments:
मुबारक बाद
साधुवाद
बहुत मेहनत की है आपने
वाकई बेहतर प्रयास
पहली ही टिप्पणी मात्रा वाली आ गयी तो मान लिया कि ये बंधन टिप्पणीकारों पर लागू नहीं है :)
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