जाने कैसा गुज़रना है साल ये ?
अभी से है हजूर के जब हाल ये !
क्या, क्यों, किसलिए, सुलझे तो कैसे ?
जवाबों से ही निकलते सवाल ये !
दो पागल, और दोनों बराबर !
ख़त्म नहीं होता दिखे बवाल ये !
बात तब बने, जब मकम्मल हो वर्ना,
पल में गायब हो जाते ख़याल ये !
चार दिन हुए नहीं महफ़िल सजाए,
इनके तेवर तो देखिये, मजाल ये !
9 comments:
:-) वाह! ज़बरदस्त.
चार दिन हुए नहीं महफ़िल सजाए,
इनके तेवर तो देखिये, मजाल ये !
बहुत खूब। बधाई।
क्या, क्यों, किसलिए, सुलझे तो कैसे ?
जवाबों से ही निकलते सवाल ये !
...jabaradast.
अपनी पसंद :)
बात तब बने, जब मकम्मल हो वर्ना,
पल में गायब हो जाते ख़याल ये !
आप सभी का ब्लॉग पर पधारने के लिए आभार ....
kya kahane
क्या बात है भाई...बहुत खूब...वाह...
नीरज
दो पागल, और दोनों बराबर..
पागल हैं तो बराबर नहीं होंगे !!!
:-))
दो पागल, और दोनों बराबर..
पागल हैं तो बराबर नहीं होंगे !!!
:-))
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