यहाँ तो हर शेर ही वाह-वा है !
ऐसी दाद से, हमें तौ-बा है !!
जो दौर दोनों तरफ से तारीफों का ,
जो गौर करिएगा, बस एक सौदा है !
गलतफहमियाँ, मुगालतें है पनपी जो,
उखाड़ जड़ करिए, अभी पौंधा है !
शर्मों-हया, बुर्कापरस्त महफ़िल में,
मजाल सा एक कुछ कहीं कौंधा है.
8 comments:
जो दौर दोनों तरफ से तारीफों का ,
जो गौर करिएगा, बस एक सौदा है !
सौदेबजों की ही दुनिया है
सौदेबाजी यहाँ का दस्तूर है ..
जिसने की लीक से हटकर बात ...
पूछता फिरेगा मेरा क्या कसूर है !
गलतफहमियाँ, मुगालतें है पनपी जो,
उखाड़ जड़ करिए, अभी पौंधा है !ब देखिये न सौदा तो होगा ही अगर हम आपके ब्लाग पर नही आयेंगे तो क्या आप आयेंगे? कभी नही। आब इन शेरों के लिये दाद तो देनी ही पडेगी। एक दम सही बात कही हैं। बधाई इस गज़ल के ;लिये।
ab is sher ke liye daad deni padegi .......aur ye koi sauda nahi.........haqiqat hai
यहाँ तो हर शेर ही वाह-वा है !
ऐसी दाद से, हमें तौ-बा है !!
जो दौर दोनों तरफ से तारीफों का ,
जो गौर करिएगा, बस एक सौदा है !
गलतफहमियाँ, मुगालतें है पनपी जो,
उखाड़ जड़ करिए, अभी पौंधा है !
बहुत खूब सर.
सभी लोगों के विचारों से सहमत ! ग़ज़ल बहुत अच्छी है.
आप सभी का प्रतिक्रियाओं के लिए आभार ...
बिल्कुल सही कहा | मै लोगो की तारीफ से किसी मुगालते में नहीं रहती हु और जब आप की शायरी बिल्कुल ही समझ नहीं आती तो चुपचाप निकल लेती हु |
बहुत खूब वाह वाह शानदार
शानदार वाह वाह बहुत खूब :)
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