आधी उम्र गुज़री, करने में बचत,
बची हुई, करने में उसकी हिफाज़त !
जब मालूम हुआ , तो हुई न हैरानगी,
कटे जिस्म से, पाया गया दिल नदारद !
रिश्तों को निभाने में, सब समझ गयी,
सहीं हों या गलत, बस कीजे वकालत !
हम मालिक एक घर के, हमारी ये गत !
तू मालिक जहाँ का, तेरी क्या हालत !!
'मजाल' पाले खाँमखाँ ये रोग क्यों ?
ये तख्तो-ताज आपको, बहुत है मुबारक !
9 comments:
वाह वाह वाह
आधी जिंदगी गई सपने देखने में और बाकि की आधी गई उसे टूटते हुए देखने में |
वाह
आधी उम्र गुज़री, करने में बचत,
बची हुई, करने में उसकी हिफाज़त !
bahut badi baat keh di..majaal hai ki hum uff kar jayen!
4.5/10
औसत पोस्ट
पढ़ी जा सकती है
आप सभी का ब्लॉग पर पधारने के लिए आभार ....
आज तो अंशुमाला जी के साथ :)
आज तो अंशुमाला जी के साथ :)
वाह! सत्य वचन।
बहुत शानदार ...
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