Thursday, October 28, 2010

शायरी : ना बुरा हुआ, ना बढ़िया हुआ, हुआ वही, जो नज़रिया हुआ ! ( Shayari - Majaal )

ना बुरा हुआ, ना  बढ़िया हुआ,
हुआ वही, जो नज़रिया हुआ !

औरों के लिए, हुई वो मातम,
बीमार तो मरा, और रिहा हुआ !

बच्चा खुश, की सबकुछ है नया ,
बूढ़ा परेशां,  'है सब किया हुआ !'

नाउम्मीदी को सूरज में लगे अँधेरा,
उम्मीद को काफी, एक दिया हुआ ! 

रुकने वाला रुकेगा इंसानियत पर ,
बढ़ने वाला, सुन्नी हुआ, शिया हुआ !

हमें तो मतलब, उम्दा नीयत से,
हुआ बाहमन , या मियाँ हुआ !

रोने से फुर्सत, तब देखे आँखे,
मालिक ने कितना दिया हुआ !

जो हुआ, वो हुआ, की होना वही था,
क्या सोचना 'मजाल', ' ये क्या हुआ' ?!

8 comments:

प्रवीण त्रिवेदी said...

वाह !!


कविता मुझको समझ ना आयी ........कर रहा हूँ समझने की पढ़ाई !

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

अच्छी गजल/कविता..

निर्मला कपिला said...

नाउम्मीदी को सूरज में लगे अँधेरा,
उम्मीद को काफी, एक दिया हुआ !

रुकने वाला रुकेगा इंसानियत पर ,
बढ़ने वाला, सुन्नी हुआ, शिया हुआ !

हमें तो मतलब, उम्दा नीयत से,
हुआ बाहमन , या मियाँ हुआ !
वाह वाह क्या खूब कहा। लाजवाब। बधाई।

anshumala said...

tin bar wahwah wahwah wahwah

हास्यफुहार said...

अच्छी गजल!

Manish aka Manu Majaal said...

आप सभी का ब्लॉग पर पधारने के लिए शुक्रिया ....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बच्चा खुश, की सबकुछ नया है,
बूढ़ा परेशां, 'है सब किया हुआ !'

नाउम्मीदी को सूरज में लगे अँधेरा,
उम्मीद को काफी, एक दिया हुआ !

बहुत बढ़िया ....अच्छी गज़ल

उम्मतें said...

सब कुछ बढिया पर अपनी पसन्द ये रही ...

हमें तो मतलब, उम्दा नीयत से,
हुआ बाहमन , या मियाँ हुआ !


:)

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