भाई मेरे !
ये क्या सितम ढाते हो ?
क्यों हिंदी को अंग्रेजी बनाते हो ?
मीठे में क्यों नमकीन मिलाते हो ?
दोनों का स्वाद बर्बाद करके क्या पाते हो ?
हमारी बिनती, सनम्र निवेदन,
बस यही आरज़ू,
Hindi ko likha jana chaahiye,
' इस तरह '
और ना की ' yun ' !
मियाँ 'मजाल' जब दादा बन जाएंगे,
और पोता पूछेगा दददू से,
क्या होती है चवन्नी ?
क्योकि तब तक,
चलन के बाहरहो चुकी होगी,
सारी छोटी मोटी गिन्नी,
तब दददू एक सँभाला हुआ,
घिसा सिक्का उसे दिखाएंगे,
और नाती को वो अपने,
चवन्नी का मतलब समझाएंगे.
अब जो तुम लिखने लगोगे,
हिंदी को अंग्रेजी में बेवजह,
तो हिंदी भी चवन्नी की तरह,
धीरे धी .... re लुप्त हो जाaegee,
is tarah !
बार बार दोहराते इसी लिए 'मजाल',
की वक़्त रहते रेंग जाए,
तुम्हारे कानों में जूँ,
Hindi ko likha jana chaahiye,
' इस तरह '
और ना की ' yun ' !
Tum to kuch bhi ant sant likh jaate ho,
aur us अंट शंट ko samajhane mein,
हमारी बुद्धि खपवाते हो !
जब साधन मौजूद है,
तो क्यों आलस दिखाते हो ?
देवनागरी को क्यों खाँमखाँ,
tum Roman banaate ho ?
अगर हम तुमसे कहें,
जाओ Google ट्रांसलिटरेशन में,
बजाए कहने के 'transliteration',
तो असुविधा होगी की नहीं समझने में ?
इसीलिए तो मजाल है कहते,
क्या रखा भाषाओं की ऐसी तैसी करने में ?!
मेहंदी जचेगी न माथे पर,
और न हथेली में बिंदी,
अंग्रेजी रहे अंग्रेजी तो बेहतर,
और हिंदी, हिंदी !
बस इतना कहना चाह रहे हम,
जरिये इस गुफ्तगू,
Hindi ko likha jana chaahiye,
' इस तरह '
और ना की ' yun ' !
7 comments:
बिल्कुल इस तरह ही दाद देनी चाहिये न कि YUN.
पहले कभी कभी आलस और जल्द बाजी में ये कर जाते थे पर अब ना के बराबर ही करते है | अब से ध्यान रखेंगे की ये ना ही हो yun
बिल्कुल सही कह रहे हैं……………सुन्दर प्रस्तुति।
फ़िक्र सही है !
comment भी लिख्aa jaanaa चाhye अ तर्h n ki यूँ\ baध्aaeeeeeeee |
आप सभी का ब्लॉग पर पधारने के लिए आभार ....
बहुत बढ़िया ....सुन्दर प्रस्तुति
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