ग़मों का है कोई किनारा क्या ?
है उम्मीदों के बिना गुज़ारा क्या ?!
फूलों की खुशबू, बच्चों की मुस्कुराहट,
उम्मीदों को चाहिए और सहारा क्या ?!
बिना आपके हमारा गुज़ारा क्या ?
करियेगा हमसे दोस्ती दुबारा क्या ?!
जब दिल मिले, गिले शिकवे सब दूर हुए,
सब एक हुआ, उसका क्या, हमारा क्या ?!
दौरे-नफ़रत, जाते जाते , ये कह गया 'मजाल',
"है मोहब्बत के सिवा और चारा क्या ?!"
है उम्मीदों के बिना गुज़ारा क्या ?!
फूलों की खुशबू, बच्चों की मुस्कुराहट,
उम्मीदों को चाहिए और सहारा क्या ?!
बिना आपके हमारा गुज़ारा क्या ?
करियेगा हमसे दोस्ती दुबारा क्या ?!
जब दिल मिले, गिले शिकवे सब दूर हुए,
सब एक हुआ, उसका क्या, हमारा क्या ?!
दौरे-नफ़रत, जाते जाते , ये कह गया 'मजाल',
"है मोहब्बत के सिवा और चारा क्या ?!"
10 comments:
वाह!
फूलों की खुशबू, बच्चों की मुस्कुराहट,
उम्मीदों को चाहिए और सहारा क्या ?
Khoob Kahi....
bahut sundar....wah
फूलों की खुशबू, बच्चों की मुस्कुराहट,
उम्मीदों को चाहिए और सहारा क्या ?!
जब दिल मिले, गिले शिकवे सब दूर हुए,
सब एक हुआ, उसका क्या, हमारा क्या ?!
दौरे-नफ़रत, जाते जाते , ये कह गया मजाल',
"है मोहब्बत के सिवा और चारा क्या ?!"
वाऽहऽऽ…! बहुत ख़ूब !!
आदरणीय बंधुवर 'मजाल'जी चार शे'र में से तीन कोट करने को मन करे तो कैसे रोकता ख़ुद को ?
लिखा ही इतना अच्छा आपने...
लेखनी और भी रौशन हो...
❣हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...❣
-राजेन्द्र स्वर्णकार
जब दिल मिले, गिले शिकवे सब दूर हुए,
सब एक हुआ, उसका क्या, हमारा क्या ?!
वाह!
दौरे-नफ़रत, जाते जाते , ये कह गया मजाल',
"है मोहब्बत के सिवा और चारा क्या ?!"
...... बहुत ख़ूब !!
सुन्दर प्रस्तुति
ऐसे क्यों बेकरार लगते हो
क्या हुआ , किसी ने ठुकराया है !
लिखते रहिये !!
फूलों की खुशबू बच्चों की मुस्कुराहट
उम्मीदों को चाहिए और सहारा क्या ?!
- बहुत सुन्दर ।
Maja aaya padh ke. Kuch sher to bahut hi behtraeen hai. Jaise mohabbat k siva chara kya
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