कमज़ोर हो के ढह जा,
गुरूर उस ज गह जा !
बदजुबानी से तो अच्छा,
चुप रहके थोड़ा सह जा !
तुझसे बहुत पटती है,
फुर्सत तू संग ही रह जा !
मरज़ करता रुका पानी,
आँसू तू बेहतर बह जा !
तेरा क्या बुरा मानें ?
उम्दा नीयत है, कह जा !
ख़ुशी और ग़म बराबर,
अरमानों की जो तह जा !
'मजाल' सच कब कड़वा ?
कड़वा होता बस लह जा !
14 comments:
"ख़ुशी और ग़म बराबर,
अरमानों की जो तह जा !
'मजाल' सच कब कड़वा ?
कड़वा होता बस लह जा"
वाह भाई, अंजाम की क्या फ़िक्र.
कहना जरूरी है तो, बस कह जा।
बदजुबानी से तो अच्छा,
चुप रहके थोड़ा सह जा !
मरज़ करता रुका पानी,
आँसू तू बेहतर बह जा !
ख़ुशी और ग़म बराबर,
अरमानों की जो तह जा !
वाह...वाह...वाह...छोटी बहर में क्या कमाल के शेर कहें हैं...किसकी मजाल है जो इस गज़ल को लाजवाब न कहे, बेमिसाल न कहे,...आपने जो किया उसे सिर्फ कमाल ही कहा जा सकता है. लिखते रहें.
नीरज
अरे वाह!
आप सभी का चिट्ठा पढ़ने और प्रतिक्रिया देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ....
सब्र-ओ-रवानगी पर बहुत बेहतर ख्याल हैं !
jabardast likha hai aapne.......shabdo ka bilkul sahi prayog.wah
बदजुबानी से तो अच्छा,
चुप रहके थोड़ा सह जा !
बहुत खूबसूरत गज़ल है ....
बदजुबानी से तो अच्छा,
चुप रहके थोड़ा सह जा !
मजाल' सच कब कड़वा ?
कड़वा होता बस लह जा !
बहुत अच्छी लगी आपकी ग़ज़ल ... हर शेर में गहरी बात छुपी है ...
बदजुबानी से तो अच्छा
चुप रहके थोड़ा सह जा।
बहुत ही फलसफाना शे‘र...लाजवाब।
वाह! बहुत बेहतर, खूबसूरत गज़ल है
तेरा क्या बुरा मानें ?
उम्दा नीयत है, कह जा !
waah!!!
bahut sundar kathya!!!
regards,
'मजाल' सच कब कड़वा ?
कड़वा होता बस लह जा ..
वाह जनाब .. क्या बात है ... छोटी बहर में कमाल किया है ... लह जा ... बहुत खूब ...
"मरज़ करता रुका पानी,
आँसू तू बेहतर बह जा !"
जिंदगी के सच को उकेरती, भाव प्रवण रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
बहुत सुन्दर शेरो शायरी और आप की रचनाएँ मन को बहुत भायीं धन्यवाद हमारे प्रिय बद्री जी का जिनके द्वारा हम आप से भी जुड़े शुभ कामनाये ई चर्चा को और आप को साधुवाद
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
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